Tuesday, 28 April 2015

हनुमान जी के कृपा पाने का श्रेष्ठ उपाय - दूर हो सकती हैं आप कि परेशानियां पा सकते सुख-शांति है

हनुमान जी के कृपा पाने का श्रेष्ठ उपाय - दूर हो सकती हैं आप कि  परेशानियां पा सकते सुख-शांति है 


भगवान हनुमान जी के 12 नामों के बारे में जानते हैं आप -

भगवान हनुमानजी के बारह नामों की स्तुति -

हनुमानञ्जनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।
रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोऽमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भेवत्।
राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।

हनुमान जी के 12 नामों के बारे में जानते हैं आप -
1. ॐ हनुमान 
2. ॐ अंजनी सुत 
3. ॐ वायु पुत्र 
4. ॐ महाबल
5 ॐ रामेष्ठ 
6 ॐ फाल्गुण सखा 
7 ॐ पिंगाक्ष
8 ॐ अमित विक्रम
9 ॐ उदधिक्रमण
10 ॐ सीता शोक विनाशन 
11 ॐ लक्ष्मण प्राण दाता 
12 ॐ दशग्रीव दर्पहा

ये सभी बारह नाम हनुमानजी के गुणों को भी प्रकट करते हैं। इन नामों में श्रीराम और सीता के लिए की गई सेवा का स्मरण हो जाता है। इसी वजह से इन नामों के जप से बजरंग बली बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं।




Monday, 16 February 2015

महाशिवरात्रि के विशेष पर्व पे - कैसे करे भगवान शिव के पूजन, पूजन के सरल प्रभावशाली उपाय


महाशिवरात्रि के विशेष पर्व - फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 17 फरवरी, मंगलवार को है। इस दिन यदि कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। महाशिवरात्रि पर किए जाने वाले सरल प्रभावशाली उपाय इस प्रकार हैं-
                                     
                          

शिवरात्रि पर्व के अवसर शिवलिंग को कराएं इन 10 चीजों से स्नान कराये -
शिवरात्रि पर्व के अवसर पर शिवजी को प्रसन्न करने के लिए यहां एक उपाय बताया जा रहा है। उपाय के अनुसार शिवलिंग को दस चीजों से स्नान कराना है। यहां जानिए ये दस चीजें कौन-कौन सी हैं और इनसे कौन से लाभ प्राप्त हो सकते हैं...
ये हैं दस पवित्र चीजें
1. जल, 2. दूध, 3. दही, 4. शहद, 5. घी, 6. शकर, 7. ईत्र, 8. चंदन, 9. केशर, 10. भांग (विजया औषधि)

इन सभी चीजों को एक साथ मिलाकर या एक-एक चीज से शिवजी को स्नान करवा सकते हैं।
शिवपुराण में बताया गया है कि इन चीजों से शिवलिंग को स्नान कराने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। स्नान करवाते समय ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करना चाहिए।

इस उपाय करने से क्या-क्या लाभ मिलते हैं-
- मंत्रों का उच्चारण करते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाने से हमारा स्वभाव शांत होता है। आचरण स्नेहमय होता है।
- शहद चढ़ाने से हमारी वाणी में मिठास आती है।
- दूध अर्पित करने से उत्तम स्वास्थ्य मिलता है।
- दही चढ़ाने से हमारा स्वभाव गंभीर होता है।
- शिवलिंग पर घी अर्पित करने से हमारी शक्ति बढ़ती है।
- ईत्र से स्नान करवाने से विचार पवित्र होते हैं।
- शिवजी को चंदन चढ़ाने से हमारा व्यक्तित्व आकर्षक होता है। समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।
- केशर अर्पित करने से हमें सौम्यता प्राप्त होती है।
- भांग चढ़ाने से हमारे विकार और बुराइयां दूर होती हैं।
- शकर चढ़ाने से सुख और समृद्धि बढ़ती है।

महाशिवरात्रि के विशेष पर्व  पे  - शास्त्रो  के अनुसार जानिए कौन सा अनाज भगवान शिव को चढ़ाने से क्या फल मिलता है-
- भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है।
- तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है।
- जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है।
- गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है।

यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करने के बाद गरीबों में वितरीत कर देना चाहिए।
शास्त्रो  के अनुसार जानिए भगवान शिव को कौन सा रस (द्रव्य) चढ़ाने से उसका क्या फल मिलता है-
- ज्वर (बुखार) होने पर भगवान शिव को जलधारा चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जलधारा द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।
- नपुंसक व्यक्ति अगर घी से भगवान शिव का अभिषेक करे, ब्राह्मणों को भोजन कराए तथा सोमवार का व्रत करे तो उसकी समस्या का निदान संभव है। 

- तेज दिमाग के लिए शक्कर मिश्रित दूध भगवान शिव को चढ़ाएं। 

- सुगंधित तेल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर समृद्धि में वृद्धि होती है। 
- शिवलिंग पर ईख (गन्ना) का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है। 
- शिव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है। 
- मधु (शहद) से भगवान शिव का अभिषेक करने से राजयक्ष्मा (टीबी) रोग में आराम मिलता है।

शास्त्रो  के अनुसार जानिए भगवान शिव को कौन का फूल चढ़ाया जाए तो उसका क्या फल मिलता है-

                                         

- लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है। 
- अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने से मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है। 
- शमी पत्रों (पत्तों) से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है। 
- बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है। 
- जूही के फूल से शिव का पूजन करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती। 
- कनेर के फूलों से शिव पूजन करने से नए वस्त्र मिलते हैं। 
- हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है। 
- धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है। 
- लाल डंठलवाला धतूरा पूजन में शुभ माना गया है। 
- दूर्वा से पूजन करने पर आयु बढ़ती है।

संतान प्राप्ति के लिए उपाय
महाशिवरात्रि के पर्व पर सुबह जल्दी उठकर नहाकर, साफ वस्त्र पहनकर भगवान शिव का पूजन करें। इसके पश्चात गेहूं के आटे से 11 शिवलिंग बनाएं। अब प्रत्येक शिवलिंग का शिवमहिम्नस्त्रोत से जलाभिषेक करें। इस प्रकार 11 बार जलाभिषेक करें। उस जल का कुछ भाग प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। 

यह प्रयोग लगातार 21 दिन तक करें। गर्भ की रक्षा के लिए और संतान प्राप्ति के लिए गर्भगौरी रुद्राक्ष भी धारण करें। इसे किसी शुभ दिन शुभ मुहूर्त देखकर धारण करें।

बीमारी ठीक करने के लिए विशेष उपाय
महाशिवरात्रि के दिन पानी में दूध व काले तिल डालकर शिवलिंग का अभिषेक करें। अभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी अन्य धातु के बर्तन का उपयोग करें। अभिषेक करते समय ऊं जूं स: मंत्र का जाप करते रहें।
इसके बाद भगवान शिव से रोग निवारण के लिए प्रार्थना करें और प्रत्येक सोमवार को रात में सवा नौ बजे के बाद गाय के सवा पाव कच्चे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करने का संकल्प लें। इस उपाय से बीमारी ठीक होने में लाभ मिलता है।

कालसर्प दोष का विशेष उपाय -
महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद किसी शिव मंदिर में जाकर या घर पर ही अकेले में भगवान शिव की प्रतिमा के सामने महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें। प्रत्येक मंत्र जाप के साथ एक बिल्वपत्र भगवान शिव पर चढ़ाते रहें।
मंत्र
ऊँ हौं ऊं जूं स: भूर्भुव: स्व: त्र्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवद्र्धनम्।
उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् भूर्भुव: स्वरों जूं स: हौं ऊं।।

इसके बाद प्रत्येक दिन इस मंत्र का जाप 108 बार करें। यदि यह संभव न हो तो जितना जाप आप कर सकें, उतना ही करें। इस उपाय से कालसर्प दोष का असर कम होने लगेगा तथा हर कार्य में सफलता मिलने लगेगी।

कालसर्प दोष निवारण के अन्य उपाय
- महाशिवरात्रि के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद चांदी से निर्मित नाग-नागिन की पूजा करें और सफेद फूल के साथ इसे बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। कालसर्प दोष से राहत पाने का ये अचूक उपाय है।
- महाशिवरात्रि पर सुबह स्नान आदि करने के बाद किसी शिव मंदिर में जाकर लघु रुद्र का पाठ स्वयं करें या किसी योग्य पंडित से करवाएं। ये पाठ विधि-विधान पूर्वक होना चाहिए।
- सफेद फूल, बताशे, कच्चा दूध, सफेद कपड़ा, चावल व सफेद मिठाई बहते हुए जल में प्रवाहित करें और कालसर्प दोष की शांति के लिए शेषनाग से प्रार्थना करें।
- महाशिवरात्रि के दिन गरीबों को अपनी शक्ति के अनुसार दान करें व नवनाग स्तोत्र का पाठ करें। शाम के समय पीपल के वृक्ष की पूजा करें तथा पीपल के नीचे दीपक जलाएं।
- कालसर्प यंत्र की स्थापना करें। प्रतिदिन विधि-विधान पूर्वक इसका पूजन करने से भी कालसर्प दोष से राहत मिलती है।


Note: My favorite news paper -bhaskar

Thursday, 22 January 2015

24 जनवरी, (शनिवार), वसंत पंचमी पर ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा, ये हैं शुभ मुहूर्त जाने

24 जनवरी, शनिवार - वसंत पंचमी का पर्व है। हमारे हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन मां सरस्वती की पूजा विशेष रूप से की जाती है। मां सरस्वती को विद्या, बुद्धि, ज्ञान, संगीत और कला की देवी माना जाता है। व्यावहारिक रूप से विद्या तथा बुद्धि व्यक्तित्व विकास के लिए जरुरी है।


हमारे हिंदू शास्त्रों के अनुसार विद्या से विनम्रता, विनम्रता से पात्रता, पात्रता से धन और धन से सुख मिलता है। वसंत पंचमी के दिन यदि विधि-विधान से माँ सरस्वती की पूजा की जाए तो विद्या व बुद्धि के साथ सफलता भी निश्चित मिलती है। वसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा इस प्रकार करें-




पूजन विधि: 

- सुबह स्नान कर पवित्र आचरण, वाणी के संकल्प के साथ माता सरस्वती की पूजा करें।
- पूजा में गंध, अक्षत (चावल) के साथ खासतौर पर सफेद और पीले फूल, सफेद चंदन तथा सफेद वस्त्र देवी सरस्वती को चढ़ाएं।
- प्रसाद में पीले चावल, खीर, दूध, दही, मक्खन, सफेद तिल के लड्डू, घी, नारियल, शक्कर व मौसमी फल चढ़ाएं।
- इसके बाद माता सरस्वती से बुद्धि और कामयाबी की कामना कर, घी के दीप जलाकर आरती करें।

जिन विद्यार्थियों का मन पढ़ाई में नहीं लगता है, वे यदि मां सरस्वती का नित्य पूजन करें तो उन्हें अतिशीघ्र लाभ होता है। विद्यार्थी यदि नीचे लिखी स्तुति का पाठ मां सरस्वती के सामने करे तो उसकी स्मरण शक्ति बढ़ती है तथा सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।


सरस्वती स्तुति

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंंकरप्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा ।।1।।
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।
हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थितां
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।2।।

हमारे हिन्दू वेदों के अनुसार अष्टाक्षर मंत्र देवी सरस्वती का मूल मंत्र है- श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा। आप जब भी माँ  सरस्वती की पूजा करें तव  भोग अर्पित करें तो इस मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए। माँ सरस्वती के पूजन के समय निम्नलिखित श्लोकों से माँ  सरस्वती का ध्यान करें-

सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।
सुपूजितां सुरगणैब्र्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।
वन्दे भक्तया वन्दिता च मुनीन्द्रमनुमानवै:।

पूजन के शुभ मुहूर्त

24 January, 2015
Month: Maagh, Nakshatra: Purva Bhadrapad
Tithi: Shukl Paksh
Festival: Vashanti Panchami, Sraswati Pooja
- सुबह 09:30 से 11:40 बजे तक
- दोपहर 01:00 से शाम 5:00 बजे तक
My favorite. News Paper(Hindi): dainikbhaskar

Wednesday, 18 June 2014

श्री दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa)

               

            श्री दुर्गा चालीसा  (Durga Chalisa)
                          
नमो नमो दुर्गे सुख करनी नमो नमो अम्बे दुःख हरनी
निराकार है ज्योति तुम्हारी तिहूं लोक फैली उजियारी
शशि ललाट मुख महा विशाला नेत्र लाल भृकुटी विकराला
रुप मातु को अधिक सुहावे दरश करत जन अति सुख पावे
तुम संसार शक्ति लय कीना पालन हेतु अन्न धन दीना
अन्नपूर्णा हुई जग पाला तुम ही आदि सुन्दरी बाला
प्रलयकाल सब नाशन हारी तुम गौरी शिव शंकर प्यारी
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें
रुप सरस्वती को तुम धारा दे सुबुद्घि ऋषि मुनिन उबारा
धरा रुप नरसिंह को अम्बा प्रगट भई फाड़कर खम्बा
रक्षा कर प्रहलाद बचायो हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो
लक्ष्मी रुप धरो जग माही श्री नारायण अंग समाही
क्षीरसिन्धु में करत विलासा दयासिन्धु दीजै मन आसा
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी महिमा अमित जात बखानी
मातंगी धूमावति माता भुवनेश्वरि बगला सुखदाता
श्री भैरव तारा जग तारिणि छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी
केहरि वाहन सोह भवानी लांगुर वीर चलत अगवानी
कर में खप्पर खड्ग विराजे जाको देख काल डर भाजे
सोहे अस्त्र और तिरशूला जाते उठत शत्रु हिय शूला
नगर कोटि में तुम्ही विराजत तिहूं लोक में डंका बाजत
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे रक्तबीज शंखन संहारे
महिषासुर नृप अति अभिमानी जेहि अघ भार मही अकुलानी
रुप कराल कालिका धारा सेन सहित तुम तिहि संहारा
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब भई सहाय मातु तुम तब तब
अमरपुरी अरु बासव लोका तब महिमा सब रहें अशोका
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी तुम्हें सदा पूजें नर नारी
प्रेम भक्ति से जो यश गावै दुःख दारिद्र निकट नहिं आवे
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई जन्म-मरण ताको छुटि जाई
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी योग हो बिन शक्ति तुम्हारी
शंकर आचारज तप कीनो काम अरु क्रोध जीति सब लीनो
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को काहू काल नहिं सुमिरो तुमको
शक्ति रुप को मरम पायो शक्ति गई तब मन पछतायो
शरणागत हुई कीर्ति बखानी जय जय जय जगदम्ब भवानी
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा
मोको मातु कष्ट अति घेरो तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो
आशा तृष्णा निपट सतवे मोह मदादिक सब विनशावै
शत्रु नाश कीजै महारानी सुमिरों इकचित तुम्हें भवानी
करौ कृपा हे मातु दयाला ऋद्घि सिद्घि दे करहु निहाला
जब लगि जियौं दया फल पाऊँ तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ
दुर्गा चालीसा जो नित गावै सब सुख भोग परम पद पावै
देवीदास शरण निज जानी करहु कृपा जगदम्ब भवानी
         ॥ जय माता दी
          



Chalisa Sangrah in Hindi

श्री गणेश चालीसा (Shri Ganesh Chalisa)
       
 
|| दोहा ||
जय गणपति सदगुणसदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥
 || चौपाई ||
जय जय जय गणपति गणराजू। मंगल भरण करण शुभ काजू॥१
जय गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्घि विधाता॥२
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥३
राजत मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥४
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥५
सुन्दर पीताम्बर तन साजित। चरण पादुका मुनि मन राजित॥६
धनि शिवसुवन षडानन भ्राता। गौरी ललन विश्व-विख्याता॥७
ऋद्घि-सिद्घि तव चंवर सुधारे। मूषक वाहन सोहत द्घारे॥८
कहौ जन्म शुभ-कथा तुम्हारी। अति शुचि पावन मंगलकारी॥९
एक समय गिरिराज कुमारी। पुत्र हेतु तप कीन्हो भारी।१०
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुंच्यो तुम धरि द्घिज रुपा॥११
अतिथि जानि कै गौरि सुखारी। बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥१२
अति प्रसन्न है तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥१३
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्घि विशाला। बिना गर्भ धारण, यहि काला॥१४
गणनायक, गुण ज्ञान निधाना। पूजित प्रथम, रुप भगवाना॥१५
अस कहि अन्तर्धान रुप है। पलना पर बालक स्वरुप है॥१६
बनि शिशु, रुदन जबहिं तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥१७
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं। नभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥१८
शम्भु, उमा, बहु दान लुटावहिं। सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥१९
लखि अति आनन्द मंगल साजा। देखन भी आये शनि राजा॥२०
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं। बालक, देखन चाहत नाहीं॥२१
गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो। उत्सव मोर, शनि तुहि भायो॥२२
कहन लगे शनि, मन सकुचाई। का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥२३
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ। शनि सों बालक देखन कहाऊ॥२४
पडतहिं, शनि दृग कोण प्रकाशा। बोलक सिर उड़ि गयो अकाशा॥२५
गिरिजा गिरीं विकल है धरणी। सो दुख दशा गयो नहीं वरणी॥२६
हाहाकार मच्यो कैलाशा। शनि कीन्हो लखि सुत को नाशा॥२७
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो। काटि चक्र सो गज शिर लाये॥२८
बालक के धड़ ऊपर धारयो। प्राण, मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो॥२९
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे। प्रथम पूज्य बुद्घि निधि, वन दीन्हे॥३०
बुद्घि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥३१
चले षडानन, भरमि भुलाई। रचे बैठ तुम बुद्घि उपाई॥३२
धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे। नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥३३
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥३४
तुम्हरी महिमा बुद्घि बड़ाई। शेष सहसमुख सके गाई॥३५
मैं मतिहीन मलीन दुखारी। करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी॥३६
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा। जग प्रयाग, ककरा, दर्वासा॥३७
अब प्रभु दया दीन पर कीजै। अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै॥३८
श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान।३९
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान॥४०
    || दोहा ||
सम्वत अपन सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ति गणेश॥
|| इति श्री गणेश चालीसा समाप्त ||

Thursday, 12 June 2014

जानिए क्या आश्चर्य है, भगवान भी होते हैं बीमार, आखिर क्या है राज?

जानिए क्या है भगवान की बीमारी का राज
                                   

भगवान श्री कृष्ण धरती पर विष्णु के अवतार के रूप माने माने जाते हैं। ऐसी मान्यता है। ऐसी मान्यता है कि उड़ीसा स्थित जगन्नाथ मंदिर में भगवान आज भी मनुष्य रुप में विराजमान रहते हैं। इसलिए इनकी देख-रेख सेवा सत्कार मनुष्य की तरह ही होती है।
अगर भगवान भी मनुष्य रुप में हैं तो उनका बीमार होना भी स्वभाविक है। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान धरती पर मानव रुप  धारण कर , लीला दिखाने आए थे तब स्नान पूर्णिमा यानी ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन अधिक स्नान करने से बीमार हो गए थे।
इसलिए हर वर्ष उस घटना को याद करते हुए स्नान पूर्णिमा के दिन भगवान को 108 घड़ों के जल से स्नान कराया जाता है। इस स्नान  के कारण भगवान बीमार हो जाते हैं।

जानिए कैसे होता है भगवान का उपचार

भगवान के बीमार हो जाने के बाद विशेष  जड़ी बूटियों से इनका उपचार किया जाता है। आम तौर पर जड़ी बूटी के के रूप मे  पीपल, शहद, जावित्री केसर से भगवान का उपचार होता है। ऐसा मानना है कि भगवान का इलाज 26 जून तक लगातार चलता है।
ऐसा मानना है कि ये भगवान के स्वस्थ होने तक मंदिर में सामन्य पूजा अर्चना बंद हो जाती है। मंदिर में घड़ी घंटे भी नहीं बजाए हैं और आरती होती है

भगवान के बीमार होने का दिन इस वर्ष 13 जून है। भगवान के स्वस्थ होने के बाद 29 जून को जगन्नाथ जी की भव्य रथ यात्रा निकलेगी।

Saturday, 31 May 2014

कार्य करने से पहले इन 3 में से कोई भी मंत्र बोल कर शुरू करें काम, होगा जबर्दस्त फायदा मिलेगा

सफलता व लाभ देने वाली ये देवशक्तियां व उनके आसान देव मंत्र का नियमित स्मरण करने से - जबर्दस्त फायदा
शास्त्रों में ऐसे तीन खास देव मंत्र  भी बताए गए हैं, जो कि जीवन के हर कार्य मे , जैसे कि नौकरी हो या कारोबार हर दिन काम शुरू करने से पहले मन ही मन भी बोले जाएं तो हर तरह से भरपूर फायदा सफलता देते हैं।

सूर्य मन्त्र (Sun Surya Mantra)
ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः |  ( 3 या 5 माला का जप प्रतिदिन )
रत्न - माणिक्य ,  भोजन - नमक रहित गेँहू से बना |

सूर्य अर्घ्य मन्त्र (Surya Ardhya Mantra)
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते
अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर

जानिए सफलता लाभ देने वाली ये देवशक्तियां उनके आसान देव मंत्र   स्तुति -

                     

1.गणेशजी- श्रीगणेश विघ्रों को दूर कर सफलता देने वाले प्रथम पूजनीय देवता है। इसलिए काम की शुरुआत में यह मंत्र गणेश मंत्र बोलें-   गं गणपतये नमः।

गणपति पूजन
हाथ में फूल लेकर गणपति का ध्यान करें। मंत्र पढ़ें- गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्। हाथ में अक्षत लेकर गणपति का आवाहन: करें ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ।। इतना कहकर पात्र में अक्षत छोड़ें।
अर्घा में जल लेकर बोलें- एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:। रक्त चंदन लगाएं: इदम रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:, इसी प्रकार श्रीखंड चंदन बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं। इसके पश्चात सिन्दूर चढ़ाएं "इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:। दुर्वा और विल्बपत्र भी गणेश जी को चढ़ाएं। गणेश जी को वस्त्र पहनाएं। इदं पीत वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि।

पूजन के बाद गणेश जी को प्रसाद अर्पित करें: इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। मिष्टान अर्पित करने के लिए मंत्र: इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें। इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:। इसके बाद पान सुपारी चढ़ायें: इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। अब एक फूल लेकर गणपति पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:|

2.  मां सरस्वती - ज्ञान, कला विद्या की देवी मां सरस्वती है। इनके मंत्र ध्यान से बुद्धि विवेक मिलता है, जो किसी भी काम में कामयाबी कुशलता बढ़ाती है। यह देवी सरस्वती मंत्र बोल काम शुरू करें-   श्री सरस्वत्यै नमः।

सरस्वती पूजन -
सबसे पहले माता सरस्वती का ध्यान करें
या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ।।1।।
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं ।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।।
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् ।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।2।।

3. गुरुदेव- शास्त्रों  के अनुसार ऐसा  माना जाता है देवता भी गुरु के बिना अधूरे होते हैं। यानी साक्षात ज्ञान स्वरूप गुरु का स्थान देवताओं से भी सबसे ऊपर बताया गया है, क्योंकि गुरु की ज्ञान प्रेरणा शक्ति के बिना किसी भी काम में सफलता या लक्ष्य पाना बिना गुरु के मुमकिन नहीं होता। चाहे वह भक्ति मार्ग का लक्ष्य हो या सांसारिक। इसलिए चाहे सांसारिक हो या आध्यात्मिक गुरु, काम शुरू करने से पहले इस मंत्र से गुरु स्मरण करें -   श्री गुरुभ्यो नमः। 

गुरु स्मरण मंत्र (Guru Mantra)
Gurur Brahma Gurur Vishnu
Gurur Devo Maheshvara
Gurur Sakshat Para Brahman
Tasmai Sri Gurave namaha

गुरूर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुर्साक्षात परब्रह्म , तस्मै श्री गुरुवे नमः॥
लाभ सफलता  के लिए  नियमित ये मंत्र का  स्मरण करे - आपका दिन अच्छा गुजरेगा , हर कार्य मे सफल होगे !