गायत्री महामंत्र के नियमित सुबह-सुबह उच्चारण के बिशेष महत्व
-
गायत्री महामंत्र- ॐ
भूर्भुव स्वः
। तत्
सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि
। धियो
यो नः
प्रचोदयात् ॥ हिन्दी में भावार्थ
- उस प्राणस्वरूप,
दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक,
देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण
में धारण
करें ।
वह परमात्मा
हमारी बुद्धि
को सन्मार्ग
में प्रेरित
करे ।
II गायत्री
महामंत्र II Gayatri Mantra
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं ।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः
प्रचोदयात् ॥
गायत्री महामंत्र स्तुत -
गायत्र्येव परो विष्णुर्गात्र्येव
परः शिवः
।
गायत्र्येव परो ब्रह्मा
गायत्र्येव त्रयी ततः ॥
गायत्री वेदजननी गायत्री
ब्राह्मणप्रसूः ।
गायत्री वेदजननी गायत्री
लोकपावनी ।
गायत्री वेदजननी गायत्री
पापनाशिनी ।
ॐकारस्तु परं ब्रह्म
गायत्री स्यात्तदक्षरम्
।
न गायत्र्याः परो
मन्त्रः सा
सर्वश्रुतिमध्यगा ।
नियमित सुबह-सुबह उच्चारण के बिशेष
महत्व -
ॐ असतो मा
सद्गमय ।
तमसो मा ज्योतिर्गमय
।
मृत्योर्मा अमृतं गमय
।
ॐ शान्तिः शान्तिः
शान्तिः ॥
गायत्री महामंत्र- ॐ
भूर्भुव स्वः
। तत्
सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि
। धियो
यो नः
प्रचोदयात् ॥ हिन्दी में भावार्थ
- उस प्राणस्वरूप,
दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक,
देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण
में धारण
करें ।
वह परमात्मा
हमारी बुद्धि
को सन्मार्ग
में प्रेरित
करते है ।
इस मंत्र के
नियमित सुबह-सुबह
उच्चारण से
ईश्वर की
प्राप्ति होती
है। गायत्री
मन्त्र से
निकली हर तरंगे ब्रह्माण्ड
में जाकर
बहुत से
दिव्य और
शक्तिशाली अणुओं और तत्वों को
आकर्षित करके
जोड़ देती
हैं और
फिर पुनः
अपने उदगम
पे लौट
आती है
जिससे मानव
शरीर दिव्यता
और परलौकिक
सुख से
भर जाता,
परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करते है ।
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