Tuesday, 15 April 2014

मंगलवार और हनुमान जयंती के खास योग - कैसे सच होगें सपने, क्या करे विशेष पूजा


हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) -
हनुमान जयंती प्रतिवर्ष चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है मान्यता है कि इसी पावन दिवस को भगवान राम की सेवा करने के उद्येश्य से भगवान शंकर के ग्यारहवें रूद्र अवतार ने वानरराज केसरी और अंजना के घर पुत्र के रूप में जन्म लिया था यह त्यौहार पूरे भारतवर्ष में पूरी श्रद्धा उल्लास के साथ मनाई जाती है हनुमान जयंती विश्व में भक्ति और शक्ति के आदर्श वीर हनुमान भगवान राम के भक्त थे. लेकिन जो बात रूद्र अवतार हनुमान जी में हैं वो किसी में नहीं, संयोग से इस बार हनुमान जयंती पर हनुमानजी के वार मंगलवार ही आ रहा है
हनुमान जी अपने भक्तों की मन्नत पूर्ण करनेवाले पवनपुत्र हनुमान के जन्मोत्सव पर इनकी पूजा का बड़ा महत्व होता है आस्थावान भक्तों का मानना है कि यदि कोई श्रद्धापूर्वक केसरीनंदन की पूजा करता है तो प्रभु हनुमान जी उसके सभी अनिष्टों को दूर कर देते हैं और उसे सब प्रकार से सुख, समृद्धि , एश्वर्य प्रदान करते हैं इस दिन हनुमानजी की पूजा में तेल और लाल सिंदूर चढ़ाने का विधान है.
 हनुमान जयंती के उपलक्ष्य पर कई जगह श्रद्धालुओं द्वारा झांकियां निकाली जाती है जिसमें उनके जीवन चरित्र का नाटकीय प्रारूप प्रस्तुत किया जाता हैयदि कोई इस दिन हनुमानजी की पूजा करता है तो वह शनि के प्रकोप से बचा रहता है हनुमान जयंती के उपलक्ष्य पर जगहजगह भक्तों के द्वारा व भंडारा किया जाता है|
हनुमान जी ने ही हमें यह सिखाया है कि बिना किसी अपेक्षा व निस्वार्थ के सेवा करने से व्यक्ति सिर्फ भक्त ही नहीं, भगवान बन सकता है ये सीख दिया है श्री राम भक्त हनुमान

कैसे करें हनुमान जी को प्रसन्न -
सतयुग से लेकर कलयुग तक हनुमानजी की आराधना मनोरथ पूर्ण करने वाली है। श्रद्धाभाव से जो भी भक्त पूजा करता है हनुमानजी का, वे हर तरह के रोग, शोक, दुखों को हरकर विशिष्ट फल देता है।

हनुमान के दिन शनिवार मंगलवार  माने जाते हैं। इस दिन हनुमानजी की प्रतिमा को श्रद्धाभाव से सिंदूर तेल चढ़ाएं।
बजरंगबली एक ऐसे चमत्कारिक सफलता देने वाले देवता माने गए हैं। हनुमान जयंती के उपलक्ष्य पर उनका यह टोटका विशेष रूप से धन प्राप्ति के लिए किया जाता है। साथ ही यह टोटका हर प्रकार का अनिष्ट वाधा भी दूर करता है। कच्ची धानी के तेल के दीपक में लौंग डालकर हनुमान जी की आरती करें। संकट दूर होगा और धन भी प्राप्त होगा।


श्री हनुमानजी चालीसा (Hanuman chalisa)

           ।।दोहा।। 

श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधार |
बरनौ रघुवर बिमल जसु , जो दायक फल चारि |
बुद्धिहीन तनु जानि के , सुमिरौ पवन कुमार |
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार ||

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिंहु लोक उजागर |
रामदूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवन सुत नामा ||
महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी |
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कान्हन कुण्डल कुंचित केसा ||
हाथ ब्रज औ ध्वजा विराजे कान्धे मूंज जनेऊ साजे |
शंकर सुवन केसरी नन्दन तेज प्रताप महा जग बन्दन ||
विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर |
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया रामलखन सीता मन बसिया ||
सूक्ष्म रूप धरि सियंहि दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा |
भीम रूप धरि असुर संहारे रामचन्द्र के काज सवारे ||
लाये सजीवन लखन जियाये श्री रघुबीर हरषि उर लाये |
रघुपति कीन्हि बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत सम भाई ||
सहस बदन तुम्हरो जस गावें अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावें |
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा ||
जम कुबेर दिगपाल कहाँ ते कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते |
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा ||
तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना लंकेश्वर भये सब जग जाना |
जुग सहस्र जोजन पर भानु लील्यो ताहि मधुर फल जानु ||
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख मांहि जलधि लाँघ गये अचरज नाहिं |
दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ||
राम दुवारे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पैसारे |
सब सुख लहे तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहें को डरना ||
आपन तेज सम्हारो आपे तीनों लोक हाँक ते काँपे |
भूत पिशाच निकट नहीं आवें महाबीर जब नाम सुनावें ||
नासे रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा |
संकट ते हनुमान छुड़ावें मन क्रम बचन ध्यान जो लावें ||
सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा |
और मनोरथ जो कोई लावे सोई अमित जीवन फल पावे ||
चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा |
राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा ||
तुम्हरे भजन राम को पावें जनम जनम के दुख बिसरावें |
अन्त काल रघुबर पुर जाई जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ||
और देवता चित्त न धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई |
संकट कटे मिटे सब पीरा जपत निरन्तर हनुमत बलबीरा ||
जय जय जय हनुमान गोसाईं कृपा करो गुरुदेव की नाईं |
जो सत बार पाठ कर कोई छूटई बन्दि महासुख होई ||
जो यह पाठ पढे हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा |
तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ||
    
     ।।दोहा।। 
पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप |
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ||

श्री हनुमानजी की आरती
मनोजवं मारुत तुल्यवेगं ,जितेन्द्रियं,बुद्धिमतां वरिष्ठम् |
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं , श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ||

आरती किजे हनुमान लला की | दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे | रोग दोष जाके निकट ना झाँके ॥
अंजनी पुत्र महा बलदाई | संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाये | लंका जाये सिया सुधी लाये ॥
लंका सी कोट संमदर सी खाई | जात पवनसुत बार न लाई ॥
लंका जारि असुर संहारे | सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पडे सकारे | आनि संजिवन प्राण उबारे ॥
पैठि पताल तोरि जम कारे| अहिरावन की भुजा उखारे ॥
बायें भुजा असुर दल मारे | दाहीने भुजा सब संत जन उबारे ॥
सुर नर मुनि जन आरती उतारे | जै जै जै हनुमान उचारे ॥
कचंन थाल कपूर लौ छाई | आरती करत अंजनी माई ॥
जो हनुमान जी की आरती गाये | बसहिं बैकुंठ परम पद पायै ॥
लंका विध्वंश किये रघुराई | तुलसीदास स्वामी किर्ती गाई ॥
आरती किजे हनुमान लला की | दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

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