वास्तव में श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। संपूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती है। सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का कांड है। मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला कांड है। सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शांति व शक्ति प्राप्त होती है। किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास का
होना बहुत ही जरूरी है
हनुमान जी जो कि वानर थे, वे समुद्र को लांघकर लंका पहुंच गए और वहां सीता माता की खोज की और लंका को जलाया तथा सीता माता का संदेश लेकर श्रीराम के पास लौट आए। यह एक भक्त की जीत का कांड है, जो अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इतना बड़ा चमत्कार कर सकता है। सुंदरकांड में जीवन की सफलता के महत्वपूर्ण सूत्र भी दिए गए हैं। इसलिए पूरी रामायण में सुंदरकांड को सबसे श्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि यह व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ाता है। इसी वजह से सुंदरकांड का पाठ विशेष रूप से किया जाता है।
सुंदरकांड के लाभ से मिलता है धार्मिक लाभ
भगवान हनुमानजी की पूजा सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मानी गई है। बजरंग बली बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं। शास्त्रों में इनकी कृपा पाने के कई उपाय बताए गए हैं, इन्हीं उपायों में से एक उपाय सुंदरकांड का पाठ नियमित करना है। सुंदरकांड के पाठ से हनुमानजी के साथ ही श्रीराम की भी विशेष कृपा प्राप्त होती सुंदरकांड का पाठ से। यदि किसी भी प्रकार की परेशानी हो, सुंदरकांड के पाठ से दूर हो जाती है। यह एक श्रेष्ठ और सबसे सरल उपाय है। इसी वजह से काफी लोग सुबह जल्दी नहाकर, साफ वस्त्र धारण कर सुंदरकांड का पाठ नियमित रूप करते हैं।
इस एक मंत्र के जप से मिलता है संपूर्ण रामायण पढ़ने का पुण्य
धर्म ग्रंथों के अनुसार - श्रीराम
नवमी को भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। यदि इस दिन भगवान राम की भक्ति मन लगाकर की जाए तो भक्त की हर मनोकामना
शीघ्र ही पूर्ण हो जायेगी , मंत्र शास्त्र के अनुसार इस दिन एक श्लोकी रामायण मंत्र का जप करने के विशेष फल प्राप्त होता है व हर मुश्किल वक़्त आसान हो जाती है। इस मंत्र का जप करें है-
मंत्र
आदि राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्।
वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्।।
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्।
पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।।
जप विधि
- सुबह जल्दी नहाकर, साफ वस्त्र धारण कर भगवान श्रीराम के चित्र का विधिवत पूजन करें।
- भगवान श्रीराम के चित्र के सामने कुश के आसन पर बैठकर रुद्राक्षकी माला लेकर इस मंत्र का जप कम से कम पांच (५) माला जप अवश्य करें।
- इस मंत्र का जप प्रतिदिन भी कर करे हैं।
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