Wednesday, 9 April 2014

नवग्रह शांति मंत्र (Navagraha Shanti Mantras)


हर व्यक्ति के जीवन में शुभ अशुभ कर्मों के अनुसार ग्रहों का भी मनुष् के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है  अशुभ ग्रहों का प्रभाव दूर कर शुभ ग्रहों को अनुकूल बनाने के लिए ग्रहों के विशेष  मंत्र  से प्रार्थना तथा उनसे संबंधित णमोकार मंत्र एवं तीर्थंकर का जाप बताया गया है. जिस ग्रह का जाप किया जाये, उसी ग्रह के अनुकूल रंग के वस्त्र, माला, तिलक तथा रत्न  धारण करने से शीघ्र  ही लाभ मिलता है जाप प्रारम्भ करने से पहले इस मंत्र  को सात बार अवश्य पढ़ें-

ऊं भवणवइ वाणवंतर, जोइसवासी विमाणवासी |
जे के वि दुट्ठ देवा, ते सव्वे उवसमंतु मम स्वाहा ||

सूर्य ग्रह मंत्र (Surya Graha Mantras) -

ऊं नमो भगवते श्रीमते पद्मप्रभु तीर्थंकराय कुसुम यक्ष मनोवेगा यक्षी सहिताय ऊं आं क्रों ह्रीं ह्र: |
आदित् - महाग्रह मम कुटुंबस् सर्व दुष्टग्रह, रोग कष् निवारणं कुरू कुरू सर्व शान्तिं कुरू कुरू |
सर्व समृद्धं कुरू कुरू इष् संपदां कुरू कुरू अनिष् निवारणं कुरू कुरू |
धन धान् समृद्धिं कुरू कुरू काम मांगल्योत्सवं कुरू कुरू हूं फट् | 7000 जाप्य |

मध्यम मंत्र  - ऊं ह्रीं क्लीं सूर्यग्रहारिष्टनिवारक श्री पद्मप्रभु-जिनेन्द्राय नम: शान्तिं कुरू कुरू स्वाहा | जाप्य 7000 |

वैदिक (लघु) मंत्र -   ऊं ह्रीं णमो सिद्धाणं | 10000 जाप्य |

तान्त्रिक मंत्र - ऊं ह्रां ह्रीं ह्रों : सूर्याय नम: | 7000 जाप्य |

सोम ग्रह मंत्र (Som Graha Mantras)-

ऊं नमो अर्हते भगवते श्रीमते चंद्रप्रभु तीर्थंकराय विजय यक्ष |
ज्वालामालिनी यक्षी सहिताय ऊं आं क्रों ह्रीं ह्र: सोम महाग्रह |

मम दुष्टग्रह, रोग कष् निवारणं सर्व शान्तिं कुरू कुरू हूं फट् | 11000 जाप्य |

मध्यम मंत्र  - ऊं ह्रीं क्रौं श्रीं क्लीं चंद्रग्रहारिष्-निवारक श्री चंद्रप्रभु-जिनेन्द्राय नम: शान्तिं कुरू कुरू स्वाहा | 11000 जाप्य |

वैदिक (लघु) मंत्र -  ऊं ह्रीं णमो अरिहंताणं | 10000 जाप्य |

तान्त्रिक मंत्र -  ऊं श्रां श्रीं श्रौं : चंद्रमसे नम: | 11000 जाप्य |

मंगल ग्रह मंत्र (Mangal Graha Mantras) -

ऊं नमोअर्हते भगवते वासुपूज् तीर्थंकराय षण्मुखयक्ष |
गांधरीयक्षी सहिताय ऊं आं क्रों ह्रीं ह्र: कुंज महाग्रह मम दुष्टग्रह,
रोग कष् निवारणं सर्व शान्तिं कुरू कुरू हूं फट् | 11000 जाप्य |

मध्यम मंत्र - ऊं आं क्रौं ह्रीं श्रीं क्लीं भौमारिष् निवारक श्री वासुपूज् जिनेन्द्राय नम: शान्तिं कुरू कुरू स्वाहा | 10000 जाप्य |

वैदिक (लघु) मंत्र - ऊं ह्रीं णमो सिद्धाणं | 10000 जाप्य |

तान्त्रिक मंत्र - ऊं क्रां क्रीं क्रौं : भौमाय नम: | 10000 जाप्य |

बुध ग्रह मंत्र (Buddha Graha Mantras) -

ऊं नमो अर्हते भगवते श्रीमते मल्लि तीर्थंकराय कुबेरयक्ष |
अपराजिता यक्षी सहिताय ऊं आं क्रों ह्रीं ह्र: बुधमहाग्रह मम दुष्टग्रह,
रोग कष् निवारणं सर्व शान्तिं कुरू कुरू हूं फट् | 14000 जाप्य |

मध्यम मंत्र - ऊं ह्रौं क्रौं आं श्रीं बुधग्रहारिष् निवारक श्री विमल अनन्तधर्म शान्ति 

कुन्थअरहनमिवर्धमान अष्टजिनेन्द्रेभ्यो नम: शान्तिं कुरू कुरू स्वाहा | 8000 जाप्य |

वैदिक (लघु) मंत्र - ऊं ह्रीं णमो उवज्झायाणां | 10000 जाप्य |

तान्त्रिक मंत्र - ऊं ब्रां ब्रीं ब्रौं : बुधाय नम: | 9000 जाप्य |

गुरु ग्रह मंत्र (Guru Graha Mantras) -

ऊं नमो अर्हते भगवते श्रीमते वर्धमान तीर्थकराय मातंगयक्ष |
सिद्धायिनीयक्षी सहिताय ऊं आं क्रों ह्रीं ह्र: गुरु महाग्रह मम दुष्टग्रह,
रोग कष् निवारणं सर्व शान्तिं कुरू कुरू फट् | 19000 जाप्य |

मध्यम मंत्र -  

ऊं औं क्रौं ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं गुरु अरिष् निवारक ऋषभ अजितसंभवअभिनंदन सुमति 
सुपार्श्वशीतल श्रेयांसनाथ अष् जिनेन्द्रेभ्यो नम: शान्तिं कुरू कुरू स्वाहा |19000 जाप्य|

वैदिक (लघु) मंत्र - ऊं ह्रीं णमो उवज्झायाणं | 10000 जाप्य |

तान्त्रिक मंत्र -  ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं : गुरवे नम: | 19000 जाप्य |

शुक्र ग्रह मंत्र (Shukra Graha Mantras) -

ऊं नमो अर्हते भगवते श्रीमते पुष्पदंत तीर्थंकराय |
अजितयक्ष महाकालियक्षी सहिताय ऊं आं क्रों ह्रीं ह्र: |
शुक्र महाग्रह मम दुष्टग्रह, रोग कष् निवारणं सर्व शान्तिं कुरू कुरू हूं फट् | 16000 जाप्य |

मध्यम मंत्र - ऊं ह्रीं श्रीं क्लीं शुक्रग्रह अरिष् निवारक श्री पुष्पदंत जिनेन्द्राय नम: शान्तिं कुरू कुरू स्वाहा
11000 जाप्य |

वैदिक (लघु) मंत्र - ऊं ह्रीं णमो अरिहंताणं | 10000 जाप्य |

तान्त्रिक मंत्र - ऊं द्रां द्रीं द्रौं : शुक्राय नम: | 16000 जाप्य |

शनि ग्रह मंत्र (Shani Graha Mantras) -

ऊं नमो अर्हते भगवते श्रीमते मुनिसुव्रत तीर्थंकराय वरूण यक्ष बहुरूपिणी |
यक्षी सहिताय ऊं आं क्रों ह्रीं ह्र: शनि महाग्रह मम दुष्टग्रह, रोग कष् निवारणं सर्व शान्तिं कुरू कुरू हूं फट् | 23000 जाप्य |

मध्यम मंत्र - ऊं ह्रीं क्रौं ह्र: श्रीं शनिग्रहारिष् निवारक श्री मुनिसुव्रतनाथ जिनेन्द्राय नम: शान्तिं कुरू कुरू स्वाहा | 23000 जाप् |

वैदिक (लघु) मंत्र - ऊं ह्रीं णमो लोए सव्वसाहूणं | 10000 जाप्य |

तान्त्रिक मंत्र  - ऊं प्रां प्रीं प्रौं : शनये नम: |23000 जाप्य |

राहु ग्रह मंत्र (Rahu Graha Mantras) -

ऊं नमो अर्हते भगवते श्रीमते नेमि तीर्थंकराय सर्वाण्हयक्ष कुष्मांडीयक्षी सहिताय|
ऊं आं क्रौं ह्रीं ह्र: राहुमहाग्रह मम दुष्टग्रह, रोग कष् निवारणं सर्व शान्तिं कुरू कुरू हूं फट् |18000 जाप्य |

मध्यम मंत्र - ऊं ह्रीं क्लीं श्रीं हूं: राहुग्रहारिष्टनिवारक श्री नेमिनाथ जिनेन्द्राय नम: शान्तिं कुरू कुरू स्वाहा | 18000 जाप्य |

वैदिक (लघु)  मंत्र -  ऊं ह्रीं णमो लोए सव्वसाहुणं |10000 जाप्य |

तान्त्रिक मंत्र - ऊं भ्रां भ्रीं भ्रौं : राहवे नम: | 18000 जाप्य |

केतु ग्रह मंत्र(Ketu Graha Mantras) -

ऊं नमो अर्हते भगवते श्रीमते पार्श् तीर्थंकराय धरेन्द्रयक्ष पद्मावतीयक्षी सहिताय |
ऊं आं क्रों ह्रीं ह्र: केतुमहाग्रह मम दुष्टग्रह, रोग कष्टनिवारणं सर्व शान्तिं कुरू कुरू हूं फट् |7000 जाप्य |

मध्यम मंत्र - ऊं ह्रीं क्लीं ऐं केतु अरिष्टनिवारक श्री मल्लिनाथ जिनेन्द्राय नम: शान्तिं कुरू कुरू स्वाहा | 7000 जाप्य |

वैदिक (लघु) मंत्र - ऊं ह्रीं णमो लोए सव्वसाहूणं |10000 जाप्य|

तान्त्रिक मंत्र - ऊं स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं : केतवे नम: | 17000 जाप्य |




नोट (Note)  -

1.  रवि,  मंगल ग्रह की जाप्य लाल रंग के वस्त्र, माला, तिलक तथा रत्न धारण करके
माला से जाप्य करनी चाहिए|
2. बुध ग्रह की  हरे रंग के रंग के वस्त्र, माला, तिलक तथा रत्न  धारण करके
 माला से जाप्य करनी चाहिए|
3. गुरु ग्रह की जाप्य पीली रंग के वस्त्र, धारण करके
 माला से जाप्य करनी चाहिए|
4. चंद्र, शुक्र ग्रह की जाप्य श्वेत रंग, की माला से करनी चाहिए|
5. शनि, राहु, केतु की जाप्य काले या नीले रंग की माला से करनी चाहिए|

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