Wednesday, 16 April 2014

Rudrashtakam रूद्राष्टक स्तोत्र - श्रीगोस्वामितुलसीदासकृत



श्रीगोस्वामितुलसीदासकृत रूद्राष्टक स्तोत्र (Rudrashtakam By Tulsidas )

                            || ॐ नमः शिवायः ||

नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्‌ ।

अजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम्‌ ॥ १॥



निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्‌ ।

करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम्‌ ॥ २॥



तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम्‌ ।

स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥ ३॥



चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालुम्‌ ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥ ४॥



प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम्‌ ।

त्रिधाशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम्‌ ॥ ५॥



कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सज्जनान्द दाता पुरारी।

चिदानन्द सन्दोह मोहापकारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥ ६ ॥



न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्‌ ।

न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥ ७॥



न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम्‌ सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम्‌ ।

जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥ ८ ॥



रुद्राष्टकमिदं प्रोक्त्तं विप्रेण हरतोषये ।
ये पठंति नरा भक्यात् तेषां शंभु:प्रसीदति ॥९॥

॥ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृत श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥

No comments:

Post a Comment